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सोमवार, अप्रैल 18, 2011

हनुमानजी के पूजन से कार्यसिद्धि भाग : 2

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हनुमानजी के पूजन से कार्यसिद्धि भाग : 2

वीरहनुमान स्वरुप:
वीरहनुमान स्वरुप में हनुमानजी योद्धा मुद्रामें होते हैं । उनकी पूंछ उत्थित (उपर उठिउई) रहती है व दाहिना हाथ मस्तककी ओर मुडा रहता है । कभी-कभी उनके पैरों के नीचे राक्षसकी मूर्ति भी होती है । वीरहनुमान का पूजन भूता-प्रेत, जादू-टोना इत्यादि आसुरी शक्तियो से प्राप्त होने वाले कष्टो को दूर करने वाला हैं।

राम सेवक हनुमान स्वरुप:
हनुमानजी की श्री रामजी की सेवामें लीन हनुमानजी की उपासना करने से व्यक्ति के भितर सेवा और समर्पण के भाव की वृद्धि होती हैं। व्यक्ति के भितर धर्म, कर्म इत्यादि के प्रति समर्पण और सेवा की भावना निर्माण करने हेतु व व्यक्ति के भितर से क्रोघ, इर्षा अहंकार इत्यादि भाव के नाश हेतु राम सेवक हनुमान स्वरुप उत्तम माना गया हैं।

हनुमानजी का उत्तरामुखी स्वरुप:
उत्तरामुखी हनुमानजी की उपासना करने से सभी प्रकार के सुख प्राप्त होकर जीवन धन, संपत्ति से युक्त हो जाता हैं। क्योकि शास्त्रो के अनुशार उत्तर दिशा में देवी देवताओं का वास होता हैं, अतः उत्तरमुखी देव प्रतिमा शुभ फलदायक व मंगलमय, सकल सम्पत्ति प्राप्त होती हैं। सकल सम्पत्ति की प्राप्ति होती है।

हनुमानजी का दक्षिणमुखी स्वरुप:
दक्षिणमुखी हनुमानजी की उपासना करने से व्यक्ति को भय, संकट, मानसिक चिंता इत्यादी का नाश होता हैं। क्योकि शास्त्रो के अनुशार दक्षिण दिशा में काल का निवास होता हैं। शिवजी काल को नियंत्रण करने वाले देव हैं हनुमानजी भगवान शिव के अवतार हैं अतः हनुमानजी की पूजा-अर्चना करने से लाभ प्राप्त होता हैं। जादू-टोना, मंत्र-तंत्र इत्यादि प्रयोग दक्षिणमुखी हनुमान की प्रतिमा के समुख करना विशेष लाभप्रद होता हैं। दक्षिणमुखी हनुमान का चित्र दक्षिण मुखी भवन के मुख्य द्वार पर लगाने से वास्तु दोष दुर होते देखे गये हैं। जादू-टोना, मंत्र-तंत्र इत्यादि प्रयोग प्रमुखत: ऐसी मूर्तिके

हनुमानजी का पूर्वमुखी स्वरुप:
पूर्वमुखी हनुमानजी का पूजन करने से व्यक्ति के समस्त भय, शोक, शत्रुओं का नाश हो जाता है।

(क्रमश....)
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