मानसिक अशांति दुर करने हेतु वास्तु टिप्स, वास्तु: मानसिक अशांति निवारण उपाय भाग, Indian Vastu Tips to mental disturbance, treditnol Vastu Tips for removing mental disturbance, Remedy for mentally disturbance, Remady for mentally restlessness Remove, Vastu Tips for mentally stress, Vastu Tips for removing mentallystress, Remedy fo mental depression,
>> मानसिक तनाव दूर करने हेतु वास्तु उपाय भाग:1
>> http://gurutvakaryalay.blogspot.com/2011/04/1.html
मानसिक तनाव दूर करने हेतु वास्तु उपाय भाग:2
* यदि अत्याधिक मानसिक तनाव से ग्रस्त हो, तो चांदी के गिलास में पानी पीये। जिससे तनाव इत्यादि नियंत्रण में रहेगा।
* बियर, शराब इत्यादि भवन या निवास्थान पर नहीं पीने चाहिये। यदि पीते हैं तो बैड रुम में कदापी न पीये। अन्याथा क्लेश व रोग में वृद्धि हो सकती हैं।
* घर की दिवारो पर बहते झरने, तालब इत्यादि के सौम्य चित्र लगाए। शेर, बाध, हथियार इत्यादि नकारात्मक उर्जा उत्पन्न करने वाले चित्रो को लगाने से परहेज करें।
* नुकीले या धार-दार हथियार, पौधे इत्यादि रखने से बचे इस्से अत्याधिक क्रोध व तनाव होता हैं।
* रसोई घर में गैस के निकट वो्स-बेजिंग या अन्य पानी का स्त्रोत न रखे। अन्यथा घर में क्लेश व बिमारिया लगी रहेगी।
* घर की दिवारो पर हल्के रंगो का प्रयोग करें। भडकिले रंगो के इस्तेमाल से मानसिक अशांति बनी रहती हैं।
* घर की दिवारो और छत पर मकडिके जाले दिखे तो तुरंत सफाई करदे। अन्यथा * मानसिक तनाव, रोग, ऋण इत्यादि की वृद्धि होगी।
* यदि नया भवन बना रहे हैं, तो रसोई घर में काले पत्थरो के प्रयोग से बचे। यदि पहले से लगवाये हैं, तो सुविधा देख कर बदलवा लेना लाभप्रद रहेगा।
शास्त्रोक्त विधान के अनुशार इन छोटे-छोटे लगने वाले उपाय अत्याधिक प्रभावशाली होते हैं। छोटी लगने वाली बाते समय के साथ साथ बडी होने लगती हैं। अतः उक्त कारणो के उत्पन्न होने से पूर्व उसे रोकने का प्रयास लाभप्रद होता हैं।
मानसिक तनाव दूर करने हेतु निवास स्थान या व्यवसायीक स्थान का वातावरण सुगंधित रहे इस लिये हल्की सुगंघ वाली धूप-अगरबत्ती, या हलके सुगंघ के एर फ्रेसनर इत्यादिका नियमित प्रयोग करे। उग्र महक या भडकीली महेक वाली सुगंधित सामग्री से मन अशांत व अत्याधिक उत्तेजित अवस्था में रहता हैं अतः हल्की महक वाली सामाग्री का प्रयोग करें।
>> मानसिक तनाव दूर करने हेतु वास्तु उपाय भाग:1
>> http://gurutvakaryalay.blogspot.com/2011/04/1.html
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें