गणेश पूजन से वास्तु दोष निवारण
हिंदू संस्कृति में भगवान गणेश सर्व विघ्न विनाशक माना हैं। इसी कारण गणपति जी का पूजन किसी भी व्रत अनुष्ठान में सर्व प्रथम किया जाता हैं। भवन में वास्तु पूजन करते समय भी गणपति जी को प्रथमपूजा जाता हैं। जिस घर में नियमित गणपति जी का विधि विधान से पूजन होता हैं, वहां सुख-समृद्धि एवं रिद्धि-सिद्धि का निवास होता हैं।
गणेश प्रतिमा (मूर्ति) की स्थापना भवन के मुख्य द्वार के ऊपर अंदर-बहार दोनो और लगाने से अधिक लाभ प्राप्त होता हैं।
गणेश प्रतिमा (मूर्ति) की पूजा घरमें स्थापना करने पर उन्हें सिंदूर चढाने से शुभ फल कि प्राप्ति होती हैं।
भवन में द्वारवेध हो, अर्थात भवन के मुख्य द्वार के सामने वृक्ष, मंदिर, स्तंभ आदि द्वार में प्रवेश
करने वाली उर्जा हेतु बाधक होने पर वास्तु में उसे द्वारवेध माना जाता हैं। द्वारवेध होने पर वहां रहने वालों में उच्चाटन होता हैं। ऐसे में भवन के मुख्य द्वार पर गणोशजी की बैठी हुई प्रतिमा (मूर्ति) लगाने से द्वारवेध का निवारण होता हैं। लगानी चाहिए किंतु उसका आकार 11 अंगुल से अधिक नहीं होना चाहिए।
पूजा स्थानमें पूजन के लिए गणेश जी की एक से अधिक प्रतिमा (मूर्ति) रखना वर्जित हैं।
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