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बुधवार, दिसंबर 08, 2010

आपका जीवन साथी कहीं नशे का आदी तो नहीं?

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आपका जीवन साथी कहीं नशे का आदी तो नहीं?


भारतीय समाज में नशेको खराब माना गया हैं। क्योकि नशे कि लत या बूरी आदत के कारण व्यक्ति तन, मन, धन, परिवार सब कुछ दाँव पर लगा देने से पीछे नहीं हटता। आज ज्यादातर व्यक्ति किसी न किसी नशे कि लत का शिकार होता हैं।

शौखिया तौर पर शुरु किया गया नशे का अभ्यास समय के साथ-साथ व्यक्ति को लत का शिकार बना देता हैं। जिस्से उसका आने वाला उज्जवल भविष्य नशे के कारण भविष्य के गर्त अंधेरे कि और अग्रस्त कर देता हैं। व्यक्ति के नशे के आदि होने का एक बड़ा कारणा उसके आस-पास का माहौल होता हैं। क्योकि व्यक्ति अपने आसपास में जो महौल देखता हैं उसी महौल के अनुरुप वह ढलने लगता हैं।

जन्म कुंडली में ग्रहों कि स्थिती के अनुशार जातक कि रुचि नशा करने में रहेगी या नहीं। यदि रहेगी तो जातक किस तरह का नशा करेगा। इसका पूर्वानुमान ज्योतिषी संकेतो के आधार पर सरलता से जान सकते हैं। यदि उचित मार्गदर्शन और उचित उपायो से कोई भी माता-पिता या अन्य कोई व्यक्ति अपने स्वजनो को नशेकी लत में पडने से पहले बचा सकता हैं।

• जन्म कुंडली में लग्न में पाप ग्रह स्थित हो तो व्यक्ति किसी ना किसी नशे का शिकार रखता हैं।
• जन्म कुंडली में लग्नेश कमजोर हो कर पाप ग्रह के प्रभाव में हो, तो व्यक्ति नशे का आदि होता हैं।
• जन्म कुंडली में लग्नेश नीच का हो, शत्रु राशि में स्थित हों और चंद्र भी कमजोर हो तो व्यक्ति नशे का आदि होता हैं।
• जन्म कुंडली में लग्नेश पर मंगल का प्रभाव हो तो व्यक्ति कि व्यसन में रुचि रहती हैं।
• जन्म कुंडली में द्वादश (व्यय) भाव पर पाप ग्रह हो, तो व्यक्ति व्यसन में धन व्यय कराता है।
• जन्म कुंडली में बृहस्पति किसी भी भाव में नीच का हो, तो व्यक्ति कि व्यसन में रुचि रहती है।
• जन्म कुंडली में शुक्र-राहु या शुक्र-केतु के साथ स्थित हो और लग्नेश और चंद्र कमजोर हो या पाप प्रभाव में हो, तो व्यक्ति कि व्यसन में रुचि होती हैं।
• जन्म कुंडली में लग्न में शनि हो, शुक्र अष्टम भाव में स्थित होकर शनि से द्दष्ट होने से व्यक्ति अत्याधिक नशे का आदि होता हैं।
• जन्म कुंडली में लग्न पर किसी भी प्रकार से सूर्य की दृष्टि होने पर व्यक्ति को माँस-मदिरा का आदि होता हैं।
• जन्म कुंडली में लग्न पर किसी भी प्रकार से शनि की दृष्टि होने पर व्यक्ति को सिगरेट-गांजा आदि धुंवे वाले व्यसनो का आदि होता हैं।
• जन्म कुंडली में लग्न पर किसी भी प्रकार से मंगल की दृष्टि होने पर व्यक्ति को शराब जेसे जलीय नशे का आदि बनाती हैं।
• जन्म कुंडली में यदि पितृ दोष लग रहा हो, तो उसकी शांति अवश्य करले क्योकिं पितृ दोष के कारण घर-परिवार के सदस्यो के बिच में नशे के कारण अत्याधिक अशांति बनी रहती हैं।

नोट : संबंधित ग्रहों की शांति कराने व उपाय करने से कष्ट कम हो जाते हैं।
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