विवाह से पूर्व कुंडली मिलान में अल्पायु-दीर्धायु योग भी देख लें।
लेख साभार: गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (दिसम्बर-2010)
अल्पायु योग
ज्योतिष से जाने कितना जीएँगा आपका साथी जीवन-मृत्यु ईश्वर की ही इच्छानुसार होती हैं। परंतु एक कुशल ज्योतिष मनुष्य के अल्पायु-दीर्धायु योग से उसकी आयु कि जानकारी दे सकता हैं। योग के आधार पर आयु से संबंधित जानकारी देने का उद्देश्य केवल सचेतना एवं पूर्व सूचना मात्र होता हैं। यदि अल्प आयु के योग बन रहें हो तो उस्से बचाव के इष्ट आराधना आराधना के उपाय करने चाहिये जिससे दीर्धायु कि प्राप्ती हो सके। क्योकि अल्पायु योग के कारणा वर को विदुर और कन्या को विधवा होने कि नौबत आजाती हैं। क्योकि मृत्यु तो निश्चित होती हैं उसे कोई नहीं टाल सकता किन्तु यदि कुंडली मिलान में वर या वधु कि
कुंडली में एसे योग पाये जाये तो सोच समझ कर ही विवाह करना उचित होता हैं।
ज्योतिष सिद्धांतो के आधार पर केवल व्यक्ति के जीवन पर उसकी जन्म कुंडली का ही नहीं, उसके संबंधियों की जन्म कुंडली के योगों का भी असर अवश्य पड़ता हैं। जैसे किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई वर्ष विशेष मारक हो परंतु उसके पत्नी की कुंडली में पति का योग बलवान हो, तो उपाय इत्यादी करने पर यह मारक योग केवल स्वास्थ्य कष्ट, अकस्मात दुर्धटना में छोटी-मोटी चोट इत्यादि का योग मात्र बन जाता हैं। अतः आयु निर्धारण हेतु इन सब बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिये। हमारे विद्वानो ने आयु निर्धारण के दीधार्यु, मध्यमायु, अल्पायु के कुछ सामान्य नियम बताते हैं।
अल्पायु योगों
आयु निर्धारण हेतु जन्म कुंडली में लग्न के स्वामी कि स्थिती का अधिक महत्व मान गया हैं। यदि लग्नेश षष्टम, अष्टम या द्वादश भाव में स्थित हों, तो जातक स्वास्थ्य से संबंधित परेशानी से ग्रस्त होता हैं। जातक अपने जीवन में स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न समस्या, आकस्मिक दुर्घटना इत्या से से अधिक समय सम्मुखीन होता हैं। व्यक्ति को अपने लग्नेश को अनुकूल बनाने हेतु उपाय करना चाहिये।
• कुंडली में सभी पाप ग्रह शनि, राहू, सूर्य, मंगल, केतु और चंद्रमा कि सूर्य से युक्त होकर तृतीय, षष्टम, द्वादश भाव में स्थित हों, तो आयु पक्ष कमजोर होता हैं।
• कुंडली में लग्नेश और सूर्य लग्न भाव में स्थित हो और उस पर पाप ग्रह कि दृष्टि हो तो आयु योग कमजोर होता हैं।
• कुंडली में अष्टमेश षष्टम या द्वादश भाव में पाप ग्रह के साथ या पाप ग्रह के प्रभाव में हो, तो आयु पक्ष कमजोर होता हैं।
• कुंडली में लग्नेश निर्बल हो और सभी पाप ग्रह केंद्र में स्थित हो, और उस पर शुभ दृष्टि न हो अशुभ ग्रह कि द्दष्टि हो तो आयु योग कमजोर होता हैं।
कुंडली में लग्नेश कमजोर हो एवं धन (द्वितीय) और व्यय (द्वादश) भाव में पाप ग्रह स्थित हो तो आयु ……………..>>
कुंडली से जानें दीर्घायु योग
कुंडली में कुछ योग ऐसे होते है जो मनुष्य को दीर्घायु बनाते है।
• ज्योतिष शास्त्र के अनुशार कुंडली में अष्टम स्थान आयु का होता हैं और अष्टम से अष्टम अर्थात तीसरा स्थान भी आयु का माना जाता हैं।
• दीर्घायु योग उन जातको कि कुंडली मे होते हैं जिनका लग्नेश अर्थात लग्न का स्वामी ग्रह का बलाबल होना एवं शुभ ग्रहों के प्रभाव में होना अति आवश्य होता हैं।
• कुंडली में लग्नेश प्रबल बलवान हों एवं अन्य सभी ग्रह बलवान हो, तो जातक दीर्घायु होता हैं।
• कुंडली में पंचम भाव में चंद्रमा, नवम भाव में गुरु, दशम भाव में मंगल स्थित होने पर दीर्घायु योग होता हैं।
कुंडली में लग्नेश, अष्टमेश और दशम स्थान का स्वामी शनि के साथ केंद्र में स्थित हो, तो दीर्घायु योग ……………..>>
पूर्णायु योग
• कुंडली में लग्नेश और अष्टमेश दोनों चर राशि में स्थित हों, या एक द्विस्वभाव राशि में दूसरा स्थिर राशि में हों तो दीधायु योग होता हैं।
• कुंडली में लग्न और चन्द्र दोनों चर राशि में स्थित हों, या एक द्विस्वभाव राशि में दूसरा स्थिर राशि में हों तो दीधायु योग होता हैं।
• कुंडली में लग्न और होरा लग्न दोनों चर राशि में स्थित हों, या एक द्विस्वभाव राशि में दूसरा स्थिर राशि में हों तो दीधायु योग होता हैं।
• कुंडली में लग्नेश और शुभ ग्रह पणफर भाव में स्थित हों, या अष्टमेश और सभी पाप ग्रह पणफर भाव में हों तो दीधायु योग होता हैं।
कुंडली में अष्टमेश उच्च का होकर केन्द्र में स्थित हों, या त्रिकोण में शुभ ग्रहों से युत हो तो दीधायु ……………..>>
महादीर्घायु योग
• कुंडली में सूर्य, बृहस्पति और मंगल नवम भाव में स्थित हों, वर्गोत्तम में हों, मकर या कुंभ राशि में हों जबकि चन्द्र बली होकर लग्न में हों तो यह योग होता है ।
• कुंडली में शनि और बृहस्पति लग्न से दशम अथवा नवम भाव में स्थित हों और नवमांश में भी ऎसा ही हो, शुभ ग्रहों से द्रष्ट हों एवं सूर्य लग्न में स्थित हो तो महादीर्घायु योग बनता हैं।
लग्न में कर्क राशि हो चन्द्र या बृहस्पति लग्न में स्थित हों और शुक्र और बुध केन्द्र में हों और शेष ग्रह एकादश, षष्टम और तृतीय भाव में हों तो महादीर्घायु योग ……………..>>
विशेष : कुंडली मिलान करते समय इनमें से कोई एक योग कुंडली में हों, तो जातक पूर्ण आयु प्राप्त करता हैं एसा ज्योतिष विद्वानो का कथन हैं। पूर्ण आयु के योग बनने पर भी सावधानी आवश्य होती हैं। क्योकि अनउचित व्यवहार एवं सोच के कारण व्यक्ति व्यसनों या गलत खान-पान के चलते उस्का शरीर बीमारियों का घर बन सकता हैं। गलत कर्मों से आयु योग क्षीण हो जाता हैं। आकस्मिक घटनाओं को भी अवश्य ध्यान में रखते हुवे आयु निर्धारण करें। अतः कोई भी भविष्यवक्ता इस बारे में घोषणा न करें ऐसा गुरुओं का निर्देश होता है। हाँ, खतरे की दी जा सकती है। किए जा सके। ……………..>>
संपूर्ण लेख पढने के लिये कृप्या गुरुत्व ज्योतिष ई-पत्रिका दिसम्बर-2010 का अंक पढें।इसलेख को प्रतिलिपि संरक्षण (Copy Protection) के कारणो लेख को यहां संक्षिप्त में प्रकाशित किया गया हैं।
>> गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (दिसम्बर-2010)
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