गुरुपुष्य नक्षत्र का महत्व
विद्वानो के मत से पुष्य नक्षत्र के दौरान किए गए कार्यो में निश्चित सफलता प्राप्त होती हैं।
पुष्य नक्षत्र का महत्व क्यों हैं?
शास्त्रो में पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का राजा बताया गया हैं। जिसका स्वामी शनि ग्रह हैं। शनि को ज्योतिष में स्थायित्व का प्रतीक माना गया हैं। अतः पुष्य नक्षत्र सबसे शुभ नक्षत्रो में से एक हैं।
यदि रविवार को पुष्य नक्षत्र हो तो रवि पुष्य योग और गुरुवार को हो तो और गुरु पुष्य योग कहलाता हैं।
शास्त्रों में पुष्य योग को 100 दोषों को दूर करने वाला, शुभ कार्य उद्देश्यो में निश्चित सफलता प्रदान करने वाला एवं बहुमूल्य वस्तुओं कि खरीदारी हेतु सबसे श्रेष्ठ एवं शुभ फलदायी योग माना गया है।
गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र के संयोग से सर्वार्थ अमृतसिद्धि योग बनता है।
शनिवार के दिन पुष्य नक्षत्र के संयोग से सर्वाद्धसिद्धि योग होता है। पुष्य नक्षत्र को ब्रह्माजी का श्राप मिला था। इसलिए शास्त्रोक्त विधान से पुष्य नक्षत्र में विवाह वर्जित माना गया है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें