ज्योतिष से जाने जीवनसाथी कि दिशा?
लेख साभार: गुरुत्व ज्योतिष पत्रिका (दिसम्बर-2010)
जन्म कुंडली में जीवनसाथी से संबंधित जानकारी देने वाला प्रमुख स्थान सप्तम भाव होता हैं । सप्तम भाव कि बल और निर्बल होने के आधार पर जातक का विवाहित और अविवाहित रहना। वैवाहिक जीवन में सफलता या असफलता के बारे में जाना जाता हैं।
जन्म कुंडली में सप्तम भाव से जीवन साथी की दिशा और स्थान का अंतर निर्धारित किया जाता हैं।
जन्म कुंडली में सप्तम भाव में स्थित ग्रह और सप्तम भाव के स्वामी अर्थात सप्तमेश कि प्रबलता या शुभ ग्रहो के साथ में या प्रभाव में अच्छी स्थिति में होने से इस ग्रह कि राशि कि दिशा के अनुसार जीवन साथी के मिलने कि दिशा के बारे में पता लगाया जा सकता हैं।
इसके उपरांत सप्तम भाव में स्थित ग्रह के बल और प्रभाव का भी अवलोकन करें।
• यदि जन्म कुंडली में सप्तम भाव में स्थित ग्रह सप्तमेश के स्वामी से अधिक बलवान हो, तो इस ग्रह की दिशा के अनुसार साथी की दिशा माननी चाहिये।
• यदि जन्म कुंडली में सप्तम भाव में स्थित ग्रह और सप्तमेश दोनो समान रूप से प्रभावशाली होने पर दोनों ग्रहो के मध्य की दिशा जाननी चाहिए।
• यदि जन्म कुंडली में ग्रह कमजोर हो, और सप्तमेश बलशाली हों, तो सप्तमेश के अनुशार हि जीवनसाथी की दिशा मानना चाहिए।
यहां विभिन्न ग्रहों की दिशा दी जा रही है :-
सूर्य : पूर्व दिशा
चन्द्र : वायव्य दिशा
मंगल : दक्षिण दिशा
बुध : ईशान दिशा
गुरु : उत्तर दिशा
शुक्र : आग्नेय दिशा
शनि : पश्चिम दिशा
राहू-केतु : नैऋत्य दिशा
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• जन्म कुंडली में सप्तम भाव में वृष राशि, कुंभ राशि अथवा वृश्चिक राशि का प्रभाव हो, तो उसके घर या पैतृक निवास से जीवनसाथी के घर या पैतृक निवास कि दूरी 0-90किलोमीटर के करीब हो सकती है।
• जन्म कुंडली में सप्तम भाव में मिथुन राशि, कन्या राशि, धनु राशि अथवा मीन राशि का प्रभाव हो, तो उसके घर या पैतृक निवास से जीवनसाथी के घर या पैतृक निवास कि दूरी 90-190 किलोमीटर के करीब हो सकती है।
• जन्म कुंडली में सप्तम भाव में मेष राशि, कर्क राशि, तुला राशि अथवा मकर राशि का प्रभाव हो, तो उसके घर या पैतृक निवास से जीवनसाथी के घर या पैतृक निवास कि दूरी 190 या उस्से से अधिक किलोमीटर कि दूरी पर हो सकता है।
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