पाकशाला और वास्तु सिद्धांत (रसोई)
- वास्तु विधान के नुशार पाकशाला या रसोई को घर कि दक्षिण-पूर्व (आग्नि कोण) दिशा में बनाना शुभ होता हैं। वास्तु के पांच तत्वो में अग्नि कि दिशा को दक्षिण-पूर्व के बिच में याने आग्नि कोण मानागया हैं।
- इस स्थान पर रसोई बनाते समय से अग्नि देव नित्य प्रज्वलित होते रहते हैं जिस्से घर का अग्नि तत्व का संतुलन बना रहता हैं।
- लेकिन वास्तु के प्रमुख जानकारो कि माने तो जिस रसोई घर में दिन में तीन या उससे अधिक बार भोजन बनता हैं उस घर में अग्नि तत्व कि अधिकता के कारण खर्च बना ही रहता हैं।
- यदि एसी स्थिति होतो रसोई को घर में चूल्हे को अग्नि कोण से थोडा अलग कर चूल्हे को पूर्व की और करदे एवं पूर्व दिशा में मुख रख कर खाना पकाये।
- यदि पूर्व मुख की रसोई हो तो चूल्हा इस प्रकार रखे कि सिलेंडर उसके ठिक नीचे रखे। रसोई तैयार करते समय पूर्व दिशा में मुख रख कर खाना पकाये।
- यदि रसोई कि दक्षिण दिशा में एग्जॉस्ट फैन लगाये तो व्यय की संभावना अधिक होती हैं। एसी स्थिति में संभव हो तो पूर्व दिशा में एग्जॉस्ट फैन लगवा दें।
- रसोई घर में कम से कम समय के लिए ही एग्जॉस्ट फैन चलाएं। एसा करने पर घरमें सकारत्मक उर्जा बनी रहती हैं।
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