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मंगलवार, मार्च 23, 2010

श्री राम के सिद्ध मंत्र भाग: ३

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श्री राम के सिद्ध मंत्र भाग: ३

विद्या प्राप्ति हेतु
मंत्र :-
गुरु गृहँ गए पढ़न रघुराई।
अलप काल विद्या सब आई॥

ज्ञान-प्राप्ति हेतु
मंत्र :-
छिति जल पावक गगन समीरा।
पंच रचित अति अधम सरीरा॥

शिक्षा में सफ़लता हेतु
मंत्र :-
जेहि पर कृपा करहिं जनु जानी।
कबि उर अजिर नचावहिं बानी॥
मोरि सुधारिहि सो सब भाँती।
जासु कृपा नहिं कृपाँ अघाती॥

आजीविका प्राप्ति हेतु
मंत्र :-
बिस्व भरण पोषन कर जोई।
ताकर नाम भरत जस होई॥

शीघ्र विवाह हेतु
मंत्र :-
तब जनक पाइ वशिष्ठ आयसु ब्याह साजि सँवारि कै।
मांडवी श्रुतकीरति उरमिला, कुँअरि लई हँकारि कै॥

यात्रा में सफ़लताहेतु
मंत्र :-
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा।
ह्रदयँ राखि कोसलपुर राजा॥

पुत्र प्राप्ति हेतु
मंत्र :-
प्रेम मगन कौसल्या निसिदिन जात न जान।
सुत सनेह बस माता बालचरित कर गान॥

सम्पत्ति की प्राप्ति हेतु
मंत्र :-
जे सकाम नर सुनहि जे गावहि।
सुख संपत्ति नाना विधि पावहि॥

ऋद्धि-सिद्धि प्राप्त करने हेतु
मंत्र :-
साधक नाम जपहिं लय लाएँ।
होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएँ॥

सर्व प्रकार के सुख प्राप्ति हेतु
मंत्र :-
सुनहिं बिमुक्त बिरत अरु बिषई।
लहहिं भगति गति संपति नई॥

अपनी आवश्यक्ता के अनुशार उपरोक्त मंत्र का नियमित जाप करने से लाभ प्ताप्त होता हैं।
श्री रामचरित मानस मे गहरी आस्था रखने वाले व्यक्ति को विशेष एवं शीघ्र लाभ प्राप्त होता हैं।
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