रत्न एवं रंगों द्वारा रोग निवारण भाग:-१
हर रत्न का अपने रंग का अद्भुत एवं चमत्कारिक प्रभाव होता हैं जिस्से हमारे मानव शरीर से सभी प्रकार के रोग हेतु उपयुक्त रत्न का चुनाव कर लाभ प्राप्त किया जासकता हैं।
ब्रह्मांड में व्याप्त हर रंग इंद्रधनुष के सात रंगों के संयोग से संबंध रखता हैं, हमारे ऋषि-मुनियों ने हजारों साल पहले लिखदिया था कि इंद्रधनुष के सात रंग सात ग्रहों के प्रतीक होते हैं, एवं इन रंगों का संबंध ब्रह्मांड के सात ग्रहो से होता हैं जो मनुष्य पर अपना निश्चित प्रभाव हर क्षण डालते हैं। इस बात को आज का उन्नत एवं आधुनिक विज्ञान भी इस बातकी पृष्टि करता हैं। ज्योतिष के द्रष्टि कोण से हर ग्रह का अपना अलग रंग व रत्न हैं।
हमारे लिये अपने जीवन को रोग मुक्त रखने हेतु इन सातो रंगो का निश्चित संतुलन रखना अति आवश्यक होता हैं। एवं यदि यह संतुलन बिगड जाये तो व्यक्ति को तरह-तरह के रोग होना प्रारंभ हो जाता हैं एवं उन रंगो को संतुलित करने हेतु रत्नों को माध्यम बनाकर उसे कायम रखकर हम कुछ बीमारियों में लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
इन रंगो को प्रिज्म में देखने पर वह अलग रंग का दिखता हैं। वास्तव में हर रंग जो हमे दिखाइ देता हैं जिसे हम - स्वेत-काला-लाल-हरा-पीला-भूरा इत्यादि सभी जो हमे द्रष्टि गोचर होते हैं वह रंग वास्तव में अलग रंग का होता हैं!
जेसे बादल का रंग देखने में हल्का भूरा या हल्का नीला प्रतित होता है, लेकिन यदि इन बादल को प्रिज्म के माध्यम से देखा जाए तो काला या हल्का भूरा दिखने वाला बादल असल में नारंगी रंग का होता हैं। सूर्य की रोशनी देख ने में सफेद या सुनहरी दिखती हैं लेकिन प्रिज्म से देखने से इसमें सात रंग दिखाइ देते हैं।
कोइ भी व्यक्ति रंगों के भेद को समज कर कौन सा रंग शरीर के किस हिस्से पर अपना प्रभावित रखता हैं, कौन रंग किस बीमारी को पैदा कर सकता हैं,
सात रंगो कि जानकारी इस प्रकार हैं।
सूर्य ग्रह के मुख्य रत्न माणिक्य (रुबी) से लाल रंग कि रश्मि प्राप्त होती हैं।
चंद्र ग्रह के मुख्य रत्न मोति से केसरी या नारंगी रंग कि रश्मि प्राप्त होती हैं।
मंगल ग्रह के मुख्य रत्न मूंगे से पीले रंग कि रश्मि प्राप्त होती हैं।
बुध ग्रह के मुख्य रत्न पन्ना से हरे रंग कि रश्मि प्राप्त होती हैं।
बृहस्पती (गुरु) ग्रह के मुख्य रत्न पीले पुखराज से नीले रंग कि रश्मि प्राप्त होती हैं।
शुक्र ग्रह के मुख्य रत्न हीरे से हल्के नीले(आसमानी) रंग कि रश्मि प्राप्त होती हैं।
शनि ग्रह के मुख्य रत्न निलम से जामुनी रंग कि रश्मि प्राप्त होती हैं।
अब इन रंगो का पंचभूत तत्व पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश के बारे में जाने और समज कर उनका प्रयोग कर लाभ प्राप्त कर सके।
जल तत्व:- केसरी या नारंगी एंव आसमानी रंग का संचालन करता हैं।
अग्नि तत्व:- लाल एवं पीले रंग का संचालन करता हैं।
वायु तत्व:- जामुनी रंग का संचालन करता हैं।
आकाश तत्व:- नीले रंग का संचालन करता हैं।
पृथ्वी तत्व:- हरे रंग का संचालन करता हैं।
मानव शरीर के साथ रंगो के भेद को जनते हैं। इन सबके भेदो को प्रिज्म द्वार अनुसंधान कर जानागया हैं।
आंख :- लाल रंग
श्वसन:- हरा रंग
स्पश:- जामुनी रंग
ध्वनि:- नीले रंग
स्वाद:- केसरी या नारंगी
मानव शरीर कि गरमी पीले एवं आसमानी रंग से प्रभावित होती हैं। त्वचा जामुनी रंग से प्रभावित होती हैं। नाक को देखने से नाक हरे प्रभावित होती हैं। जीभ को देखने से केसरी या नारंगी से प्रभावित होती दिखाइ देती हैं। कान को देख ने पर कान की नली नीले रंग कि ही दिखाई देती हैं।
(क्रमशः...........)
नोट:-
उपरोक्त सभी जानकारी हमारे निजी एवं हमारे द्वारा किये गये प्रयोगो एवं अनुशंधान के आधार पर दिगई हैं।
कृप्या किसी भी प्रकार के प्रयोग या रंग या रत्न का चुनाव करने से पूर्व विशेषज्ञ कि सलाह अवश्य ले।
यदि कोइ व्यक्ति विशेषज्ञ कि सलाह नही लेकर उपरोक्त जानकारी के प्रयोग करता हैं तो उसके लभा या हानी उसकी स्वयं कि जिन्मेदारी होगी। इस्से के लिये कार्यालय के सदस्य या संस्थपक जिन्मेदार नहीं होंगे।
हम उपयोक्त लाभ का दावा नहीं कर रहे यह महज एक जानकारी प्रदान करेने हेतु इस ब्लोग पर उपलब्ध कराइ हैं।
रंगोका प्रभाव निश्चित हैं इसमे कोइ दो राय नहीं किन्तु रत्न एवं रंगो का चुनाव अन्य उसकि गुणवत्ता एवं सफाई पर निर्भर हैं अपितु विशेषज्ञ कि सलाह अवश्य ले धन्यवाद।
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