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मंगलवार, मार्च 23, 2010

श्री राम के सिद्ध मंत्र भाग: ५

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श्री राम के सिद्ध मंत्र भाग: ५

आकर्षण हेतु
मंत्र :-
जेहि कें जेहि पर सत्य सनेहू।
सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू॥

परस्पर प्रेम बढाने हेतु
मंत्र :-
सब नर करहिं परस्पर प्रीती।
चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती॥

विचारो की शुद्धि हेतु
मंत्र :-
ताके जुग पद कमल मनाउँ।
जासु कृपाँ निरमल मति पावउँ॥

मोक्ष-प्राप्ति हेतु
मंत्र :-
सत्यसंध छाँड़े सर लच्छा।
काल सर्प जनु चले सपच्छा॥

भक्ति भाव उजागर हेतु
मंत्र :-
भगत कल्पतरु प्रनत हित कृपासिंधु सुखधाम।
सोइ निज भगति मोहि प्रभु देहु दया करि राम॥

अपनी आवश्यक्ता के अनुशार उपरोक्त मंत्र का नियमित जाप करने से लाभ प्ताप्त होता हैं।
श्री रामचरित मानस मे गहरी आस्था रखने वाले व्यक्ति को विशेष एवं शीघ्र लाभ प्राप्त होता हैं।
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