माला का महत्व
हर साधक की इच्छा होती हैं की जो साधना वह अपने कार्य उद्देश्य की पूर्ति के लिये कर रहा हैं उसका वह कार्य सरलता से शीघ्र संपन्न जाये या उसे अपने द्वारा किये गये जापो का अधिक से अधिक प्रतिशत लाभ प्राप्त हो।
साधाना मे मंत्र जप के लिये माला का विशेष महत्व होता है।
विभिन्न प्रकार के कार्य की सिद्धि हेतु माला का चयन अपने कार्य उद्देश्य के अनुशार करने से साधक को अपने कार्य की सिद्धि जल्द प्राप्त होती हैं, क्योकी माला का चयन जिस इष्ट की साधना की जाती हैं उस के अनुरुप होना चाहीये।
देवी- देवता कि विषेश कृपा प्राप्ति के लिए उपयुक्त माला का चयन करना चाहिए-
लाल चंदन- (रक्त चंदन माला) गणेश, दूर्गा, मंगल ग्रह कि शांति के लिए उत्तम है।
श्वेत चंदन- (सफेद चंदन माला) - लक्ष्मी एवं शुक्र ग्रह कि प्रसन्नता हेतु।
तुलसी- विष्णु, राम व कृष्ण कि पूजा अर्चना हेत॥
मूंग- लक्ष्मी, गणेश, हनुमान, मंगल ग्रह कि शांति के लिए उत्तम है।
मोती- लक्ष्मी, चंद्रदेव कि प्रसन्नता हेतु।
कमल गटटा- लक्ष्मी कि प्रसन्नता हेतु।
हल्दी - बगलामुखी एवं बृहस्पति (गुरु) कि प्रसन्नता हेतु।
स्फटिक - लक्ष्मी, सरस्वती, भैरवी की आराधना के लिए श्रेष्ठ होती है।
चाँदी - लक्ष्मी, चंद्रदेव कि प्रसन्नता हेतु।
रुद्राक्ष - शिव, हनुमान कि प्रसन्नता हेतु।
नवरत्न - नवग्रहो कि शांति हेतु।
सुवर्ण- लक्ष्मी कि प्रसन्नता हेतु।
अकीक - (हकीक) कि माला का प्रयोग उसके रंगो के अनुरुप किया जाता हैं।
रुद्राक्ष एवं स्फटिक की माला सभी देवी- देता की पूजा उपासना में प्रयोग कियाजा सकता हैं।
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