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मंगलवार, मार्च 23, 2010

सीताराम स्तोत्रम्

Sita Ram Stotra, Sita rama stotram,

सीताराम स्तोत्रम्

कमल लोचनौ राम कांचनाम्बरौ कवचभूषणौ राम कार्मुकान्वितौ ।
कलुषसंहारौ राम कामितप्रदौ रहसि नौमि तौ सीतारामलक्ष्मणौ ॥१॥

मकरकुण्डलौ राम मौलिसेवितौ मणिकिरीटिनौ राम मञ्जुभाषिणौ ।
मनुकुलोद्भवौ राम मानुषोत्तमौ रहसि नौमि तौ सीतारामलक्ष्मणौ ॥२॥

सत्यसम्पन्नौ राम समरभीकरौ सर्वरक्षणौ राम सर्वभूषणौ ।
सत्यमानसौ राम सर्वपोषितौ रहसि नौमि तौ सीतारामलक्ष्मणौ ॥३॥

धृतशिखण्डिनौ राम दीनरक्षकौ धृतहिमाचलौ राम दिव्यविग्रहौ ।
विविधपूजितौ राम दीर्घदोर्युगौ रहसि नौमि तौ सीतारामलक्ष्मणौ ॥४॥

भुवनजानुकौ राम पादचारिणौ पृथुशिलीमुकौ राम पापनाङ्घ्रिकौ ।
परमसात्विकौ राम भक्तवत्सलौ रहसि नौमि तौ सीतारामलक्ष्मणौ ॥५॥

वनविहारिणौ राम वल्कलांबरौ वनफलाशिनौ राम वासवार्चितौ ।
वरगुणाकरौ राम वालिमर्दनौ रहसि नौमि तौ सीतारामलक्ष्मणौ ॥६॥

दशरथात्मजौ राम पशुपतिप्रियौ शशिनिवासिनौ राम विशदमानसौ ।
दशमुखान्तकौ राम निशितसायकौ रहसि नौमि तौ सीतारामलक्ष्मणौ ॥७॥

कमल लोचनौ राम समरपण्डितौ भीमविग्रहौ राम कामसुन्दरौ ।
दामभूषणौ राम हेमनूपुरौ रहसि नौमि तौ सीतारामलक्ष्मणौ ॥८॥

भरतसेवितौ राम दुरितमोचकौ करधृताशुगौ राम सूकरस्तुतौ ।
शरधि धारणौ राम धीरकवचिनौ रहसि नौमि तौ सीतारामलक्ष्मणौ ॥९॥

धर्मचारिणौ राम कर्मसाक्षिणौ धर्मकार्मुखौ राम शर्मदायकौ ।
धर्मशोभितौ राम कर्ममोदिनौ रहसि नौमि तौ सीतारामलक्ष्मणौ ॥१०॥

नीलदेहिनौ राम लोलकुन्दलौ कालभीकरौ राम वालिमर्दनौ ।
कलुषहारिणौ राम ललितभूषणौ रहसि नौमि तौ सीतारामलक्ष्मणौ ॥११॥

मातृनन्दनौ राम भाद्रबालकौ भ्रातॄ सम्मतौ राम शत्रुसूदकौ ।
भ्रातृशेखरौ राम सेतुनायकौ रहसि नौमि तौ सीतारामलक्ष्मणौ ॥१२॥

शरधिबन्धनौ राम दलितदानवौ कुलविवर्धनौ राम बलविराजितौ ।
सोलजाजितौ राम बलविराजितौ रहसि नौमि तौ सीतारामलक्ष्मणौ ॥१३॥

राजलक्षणौ राम विजय काङ्क्षिणौ गजवरारुहौ राम पूजितामरौ ।
विजितमत्सरौ राम भजितवारणौ रहसि नौमि तौ सीतारामलक्ष्मणौ ॥१४॥

सर्वमानितौ राम सर्वकारिणौ गर्वभञ्जनौ राम निर्विकारणौ ।
दुर्विभासितौ राम सर्वभासकौ रहसि नौमि तौ सीतारामलक्ष्मणौ ॥१५॥

रविकुलोद्भवौ राम भवविनाशकौ कानकाश्रितौ राम पादकोशकौ ।
रविसुतप्रियौ राम कविभिरीडितौ रहसि नौमि तौ सीतारामलक्ष्मणौ ॥१६॥

राम राघव सीता राम राघव राम राघव सीता राम राघव ।
कृष्णकेशव राधा कृष्णकेशव कृष्णकेशव राधा कृष्णकेशव ॥१७॥
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