श्री राम के सिद्ध मंत्र भाग: ४
मनोरथ सिद्धि हेतु
मंत्र :-
भव भेषज रघुनाथ जसु सुनहिं जे नर अरु नारि।
तिन्ह कर सकल मनोरथ सिद्ध करहिं त्रिसिरारि॥
कुशलता हेतु
मंत्र :-
भुवन चारिदस भरा उछाहू।
जनकसुता रघुबीर बिआहू॥
मनोरथ सिद्धि हेतु
मंत्र :-
भव भेषज रघुनाथ जसु सुनहिं जे नर अरु नारि।
तिन्ह कर सकल मनोरथ सिद्ध करहिं त्रिसिरारि॥
कुशलता हेतु
मंत्र :-
भुवन चारिदस भरा उछाहू।
जनकसुता रघुबीर बिआहू॥
खोयी हुई वस्तु पुनः प्राप्त करने हेतु
मंत्र :-
गई बहोर गरीब नेवाजू।
सरल सबल साहिब रघुराजू॥
मुकदमें में विजय प्ताप्ति हेतु
मंत्र :-
पवन तनय बल पवन समाना।
बुधि बिबेक बिग्यान निधाना॥
शत्रु को मित्र बनाने हेतु
मंत्र :-
गरल सुधा रिपु करहिं मिताई।
गोपद सिंधु अनल सितलाई॥
शत्रुता नाश हेतु
मंत्र :-
बयरु न कर काहू सन कोई।
राम प्रताप विषमता खोई॥
खोयी हुई वस्तु पुनः प्राप्त करने हेतु
गई बहोर गरीब नेवाजू।
सरल सबल साहिब रघुराजू॥
अपनी आवश्यक्ता के अनुशार उपरोक्त मंत्र का नियमित जाप करने से लाभ प्ताप्त होता हैं।
श्री रामचरित मानस मे गहरी आस्था रखने वाले व्यक्ति को विशेष एवं शीघ्र लाभ प्राप्त होता हैं।
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