सोमवती अमावस्या का महत्व
जिस सोमवार को अमावस्या पडती हो उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। सोमवती अमावस्या के दिन व्रत रखने का विधान है। सोमवती अमावस्या के दिन स्नान-दान को सर्वश्रेष्ठ माना जाता हैं।
धर्म ग्रंथों के मत से सोमवार को अमावस्या बड़े भाग्य से ही पड़ती है, क्योकि पांडव अपने पूरे जीवन में सोमवती अमावस्या के संयोग हेतु तरसते रहें लेकिन उनहे यह अवसर जीवन भर प्राप्त नहीं हुवा।
सोमवती अमावस्या के दिन मौन धारण कर स्नान-ध्यान-दान करने से सहस्त्र्र गौ-दान के समान पुण्य प्राप्त होता हैं एसा महर्षि व्यास का कथन हैं।
सोमवती अमावस्या के अवसर पर पवित्र तीर्थ स्थलो-नदि एवं जल कुंड-सरोवर में श्रद्धालु प्रातः ब्रह्म मुहूर्त के साथ स्नान प्रांरभ करते हैं एवं देर शाम तक यह चलता हैं।
सोमवती अमावस्या पर पीपल कि १०८ बार परिक्रमा करते हुए पीपल तथा विष्णु के पूजन का विधान बताया हैं। परिक्रमा के साथ में फल या अन्य कुछ दान स्वरुप विद्वान ब्राह्मण को देना चाहिये इस्से सोमवती अमावस्या के पूणय का विशेष लाभ प्राप्त होता हैं।
सोमवती अमावस्या के दिन भारत कि प्रमुख नदियों एवं तीर्थ स्थानो पर स्नान, गौदान, अन्नदान, ब्राह्मण भोजन, वस्त्र, स्वर्ण आदि दान का विशेष महत्व माना गया है।
इसी वजह से हर सोमवती अमावस्या पर गंगा तट पर श्रद्धालुओ का ताता लगा रहता हैं।
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