होलाष्टक एवं मान्यता
- होली का पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता हैं । इस लिये होली के ठिक आठ दिन को होलाष्टक होते हैं।
- शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक में कोई भी नया कार्य, कोई भी शुभ कार्य एंव मांगलिक कार्य करना उचित नहीं हैं।
- होलाष्टक होलिका दहन के पश्चयात समाप्त होते हैं।
- होलाष्टक के दौरान हिंदू संस्कृतिके १६ संस्कारो को वर्जित मने जाते हैं।
- एसी मान्यता है कि होली के आठ दिन पूर्व के दिनो को ज्यादातर अमांगल प्रदान करने वाले होते हैं।
- देश के कई हिस्से में होलाष्टक नहीं मानते हैं।
- एसी मान्यता हैं कि कुछ तीर्थस्थान जेसे शतरुद्रा, विपाशा, इरावती एवं पुष्कर सरोवर के अलाव बाकी सब स्थानो पर होलाष्टक का अशुभ प्रभाव नहीं होता बकी सब स्थान पर सर्वत्र विवाह इत्यादि शुभ कार्य बिना परेशानि से हो सकते हैं।
- लेकिन शास्त्रीय मान्यताओं से होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य वर्जित मानागया हैं।
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