वैदिक धर्म क्या है? (हिन्दू धर्म)
वैदिक धर्म वह है जिस में आत्मा की एकता पर सबसे अधिक जोर दिया जाता है।
जो व्यक्ति इस तत्व को समझ लेता है, परम सत्य-परम पिता परमात्मा के अलावा अन्य किसी और से अधिक प्रेम नहीं करेगा? जो व्यक्ति यह समझ जाएगा कि कण-कण मे केवल इश्वर का वास होता है!' वह व्यक्ति ना किस पर नाराज होगा? ना किसी से लडाई-झगडा करेगा ? ना किसी को सताएगा? ना किसी को गाली देगा? ना किसी के साथ बुरा व्यवहार करेगा?
यस्मिन्सर्वाणि भूतानि आत्मैवाभूद्विजानतः ।
तत्र को मोहः कः शोक एकत्वमनुपश्यतः ॥
जो व्यक्ति संसार के समस्त प्राणि मात्र में एक ही आत्मा को समझता और देखता है, उसके लिए उसके जीवन मे किसका मोह, किसका शोक रहेगा ?
इसि को वैदिक धर्म का मूल तत्व कहते है। इस सारे जगत में ईश्वर ही सर्वत्र व्याप्त है। ईश्वरी कृपा एवं उस कृपाको पाने के लिए, उसी को समझने के लिए हमें मनुष्य को यह मानव जीवन मिला है। उसे पाने का जो रास्ता है, उसका नाम धर्म है।
धर्म का उद्देश्य - मानव समाज में सत्य, न्याय एवं नैतिकता (सदाचरण) की स्थापना करना ।
जवाब देंहटाएंव्यक्तिगत धर्म- सत्य, न्याय एवं नैतिक दृष्टि से उत्तम कर्म करना, व्यक्तिगत धर्म है ।
सामाजिक धर्म- मानव समाज में सत्य, न्याय एवं नैतिकता की स्थापना के लिए कर्म करना, सामाजिक धर्म है । ईश्वर या स्थिर बुद्धि मनुष्य सामाजिक धर्म को पूर्ण रूप से निभाते है ।
धर्म संकट- सत्य और न्याय में विरोधाभास की स्थिति को धर्मसंकट कहा जाता है । उस स्थिति में मानव कल्याण व मानवीय मूल्यों की दृष्टि से सत्य और न्याय में से जो उत्तम हो, उसे चुना जाता है ।
धर्म को अपनाया नहीं जाता, धर्म का पालन किया जाता है । धर्म के विरुद्ध किया गया कर्म, अधर्म होता है ।
व्यक्ति के कत्र्तव्य पालन की दृष्टि से धर्म -
राजधर्म, राष्ट्रधर्म, मनुष्यधर्म, पितृधर्म, पुत्रधर्म, मातृधर्म, पुत्रीधर्म, भ्राताधर्म इत्यादि ।
धर्म सनातन है भगवान शिव (त्रिदेव) से लेकर इस क्षण तक व अनन्त काल तक रहेगा ।
शिव (त्रिदेव) है तभी तो धर्म व उपासना है । ज्ञान अनन्त है एवं श्रीमद् भगवद् गीता ज्ञान का सार है ।
राजतंत्र में धर्म का पालन राजतांत्रिक मूल्यों से, लोकतंत्र में धर्म का पालन लोकतांत्रिक मूल्यों के हिसाब से किया जाता है ।
कृपया इस ज्ञान को सर्वत्र फैलावें । by- kpopsbjri