ज्योतिष शास्त्र और शिवरात्रि
चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिवजी हैं।
ज्योतिष शास्त्रों में चतुर्दशी तिथि को परम शुभ फलदायी मना गया हैं। वैसे तो शिवरात्रि हर महीने चतुर्दशी तिथि को होती हैं। परंतु फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा गया हैं।
ज्योतिषी शास्त्र के अनुसार विश्व को उर्जा प्रदान करने वाले सूर्य इस समय तक उत्तरायण में आ होते हैं, और ऋतु परिवर्तन का यह समय अत्यंत शुभ कहा माना जाता हैं। शिव का अर्थ ही है कल्याण करना, एवं शिवजी सबका कल्याण करने वाले देवो के भी देव महादेव हैं। अत: महा शिवरात्रि के दिन शिव कृपा प्राप्त कर व्यक्ति को सरलता से इच्छित सुख की प्राप्ति होती हैं।
ज्योतिषीय सिद्धंत के अनुसार चतुर्दशी तिथि तक चंद्रमा अपनी क्षीणस्थ अवस्था में पहुंच जात्ता हैं।
अपनी क्षीण अवस्था के कारण बलहीन होकर चंद्रमा सृष्टि को ऊर्जा(प्रकाश) देने में असमर्थ हो जाते हैं।
चंद्र का सीधा संबंध मनुष्य के मन से बताया गया हैं।
ज्योतिष सिद्धन्त से जब चंद्र कमजोर होतो मन थोडा कमजोर हो जाता हैं, जिस्से भौतिक संताप प्राणी को घेर लेते हैं, और विषाद, मान्सिक चंचल्ता-अस्थिरता एवं असंतुलन से मनुष्य को विभिन्न प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता हैं।
धर्म ग्रंथोमे चंद्रमा को शिव के मस्तक पर सुशोभित बताय गया हैं। जिस्से भगवान शिव की कृपा करने से चंद्रदेव की कृपा स्वतः प्राप्त हो जाती हैं। महाशिवरात्रि को शिव की अत्यंत प्रिय तिथि बताई गई हैं। ज्यादातर ज्योतिषी शिवरात्रि के दिन शिव आराधना कर समस्त कष्टों से मुक्ति पाने की सलाह देते हैं।
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