अपने दिन को मंगलमय केसे बनाये ? (भाग: २)
नित्य कर्म से निवृत होकर ही पूजा-पाठ (इष्ट आराधना) अवश्य करनी चाहिये।
सर्व प्रथम इष्ट आराधना से पूर्व अपने गुरु को स्मरण (गुरु मंत्र का जाप) करे ताकी उनकी कृपा आप पर बनी रहे जिस्से इष्ट आराधना सफलता से पूर्ण हो एवं आप को पूर्ण सिद्धि प्राप्त होसके।
यदि जीवन मे किसी को गुरु के रूप मे नही बनया तो गणेश मंत्र का जाप करे या आप गयत्री मंत्र का जाप करे अन्यथा भगवान भोले भंडारी (शिव मंत्र) को अपना गुरु बनाले और उनके मंत्रो का जप करे। क्योकि शिवजी एक एसे भगवान है जो अत्यंत शीघ्र प्रसन्न होते है इसी लिये उन्हे भोले भंडारी कहाजाता हैं।
यदि आप अत्याधिक परेशानिओं या संकटो से घीरे होतो आप राम भक्त हनुमान जी को अपना गुरु बाना कर उनकी कृपा से आप सभी अष्टसिद्धि और नव निधिओं को सरलता से प्राप्त कर सकते है क्योकि हनुमान कल्युग के एसे देव है जो सरलता से प्रसन्न होते है एवं अपअने भक्तो की रक्षा करने हेतु तत्पत होते है।
(आप हमारे पूर्व प्रकाश लेखो मे हनुमान चालीसा एवं बजरंग बाण का चमत्कार अवश्य देखे इस्से आपको सहायता होगी, यदि लेखके बारे मे आपके कोइ सुझाव होतो हमे अवश्य बताये हम उसके सुझावो का स्वागत करते हैं।)
गणेश मंत्र (अन्य गणेश मंत्र)
ॐ गं गणपतये नमः ।
गायत्री मंत्र (अन्य मंत्र)
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात्॥
महामृत्युंजय मंत्र (अन्य शिव मंत्र)
ॐ त्रयंम्बकं यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
अपने गुरु मंत्र के साथ अथवा उपरोक्त मंत्र के माध्यम से आप गुरुकृपा सरलता से प्राप्त कर सकते है।
गुरुकृपा के बाद अन्य किसी पूजा-अर्चना करे तो वह पूजा- मंत्र जाप अत्यंत फलदायी सिद्ध होते हैं।
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