MAHA SHIVA RATRI MAHATVA
महाशिवरात्रि महत्व
महाशिवरात्रि को हिंदू धर्म में एक प्रमुख त्योहार के रूप में मनाय जाता हैं। महाशिवरात्रि को कालरात्रि के नाम से भी जान जाता हैं।
महाशिवरात्रि पर्व प्रति वर्ष फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता हैं। एसी मान्यता हैं कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्य रात्रि भगवान शिवजी का ब्रह्मा रुप से रुद्र रूप में अवतार हुआ था। प्रलय के समय में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए समग्र ब्रह्मांड को अपने तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं। इसीलिए इसे महाशिवरात्रि कहाजाता हैं।
तीनों लोक की सुंदरी तथा शीलवती गौरां को अपनी अर्धांगिनी बनाने वाले शिव सर्वदा प्रेतों व पिशाचों से घिरे रहते हैं। उनका रूप अनोखा हैं। शरीर पर स्मसान की भस्म, और गले में सर्पों की माला, कंठ में विष, जटा में शशी (चंद्र) एवं पतित पावनी गंगा तथा मस्तक पर प्रलय कारी ज्वाला हैं। नंदि (बैल) को वाहन बनाने वाले हैं।
शिव अमंगल रूप होकर भी अपने भक्तों का अमंगल दूर कर मंगल करते हैं और सुख-संपत्ति एवं शांति प्रदान करते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें